आपकी भाषा, चलने-फिरने का ढंग, कपड़े पहनने का ढंग, खाने-पीने का तरीका आदि यानि सब कुछ इस दुनिया में जन्म लेने के बाद ही सीखा है, यानि आपका हर तौर-तरीका, आदत इस दुनिया की ही देन है। लेकिन आपका शरीर पूर्ण रूप से ईश्वर की ही देन है। हमारे शरीर का कोई भी भाग/अंग किसी कारखाने में तैयार नहीं किये जा सकते हैं। मानव शरीर ईश्वर की अनमोल कृति है। ईश्वर की इस अनमोल कृति की देखभाल करना, इसकी सार-संभाल करना आपकी जिम्मेदारी व धर्म है। सुबह-शाम रोजाना मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा में पूजा-पाठ करने से ज्यादा जरूरी है कि आप भगवान के इस ‘उपहार’ स्वरूप शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सुबह या शाम आधा से एक घंटा व्यायाम करें। किसी विद्वान ने कहा है :
“Those who don’t make for exercise must eventually make time for illness.”
“In a sound body rests a sound mind.”
स्वस्थ रहने के लिए ताजा भोजन करें, ताजा फल व हरी सब्जियों का सेवन करें। जंक फूड से बचें। भूख से ज्यादा न खायें। अधिक तले पदार्थ, तीखे चटपटे मसालें, अधिक मीठे का सेवन न करें। उत्तम स्वास्थ्य हेतु—
अनावश्यक तनाव न पालें, चिन्ताग्रस्त न रहें, किसी से ईष्र्या भाव न रखें। ये मानसिक स्वास्थ्य हेतु खतरनाक हैं।